प्रवासी श्रमिकों के वापसी पर जन आन्दोलनों की याचिका:
सर्वोच्च अदालत के अंतरिम आदेश
सरल और समयबद्ध पंजीकरण, नि:शुल्क प्रवास और भोजन, पानी आदि सुविधा की
ज़िम्मेदारी सरकार की
श्रमिकों के संकट दूर करने के लिए इन आदेशों का तत्काल अमल ज़रूरी
- पैदल चलने से रोककर उपलब्ध करे वाहन।
- प्रवासी मजदूरों को भोजन, पानी, वाहन व्यव्स्था मुफ़्तमें उपलब्ध करे राज्यशासन।
- सरलीकरण से रजिस्ट्रेशन और त्वरित वाहन/ रेल सफ़रमें केंद्रसे भोजन-पानी।
- अगली सुनवाई 5 जून को, केंद्र और राज्यसरकारोंसे विस्तृत जवाब के बाद।
29 मई, 2020: सर्वोच्च न्यायालय के न्या. अशोक भूषण, न्या. संजय किशन कौल, न्या. एम. आर. शाह के खंडपीठने आज स्थलांतरित मजदूरोंकी सवालोंपर सुनवायी की। स्थलांतरित मजदूरों के जीने के अधिकार पर हमला है, इस दावे के साथ संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत ’जनआंदलनोंके राष्ट्रीय समन्वय’ के समन्वयक मेधा पाटकर और आशीष रंजन (बिहार), सुनीता रानी (दिल्ली), विमल भाई, बिलाल खान (मुंबई) की ओरसे प्रस्तुत याचिका को, अन्य याचिकाओंके साथ सर्वोच्च अदालत ने suo moto ली गई उनकी याचिका के साथ जोड दिया। जनआंदोलनों की ओरसे वरिष्ठ अधिवक्ता ॲड. संजय पारीखजी ने पैरवी की। उनके अलावा ॲड्. कपिल सिबल, ॲड्. अभिषेक मनू सिंघवी और ॲड्. कोलिन गोन्साल्विस ने भी बात रखी।
स्थलांतरित मजदूरोंके लॉकडाउन के चलते वापसी की यात्रा, उसमें भुगत रहे अन्याय और अत्याचार, उनका रजिस्ट्रेशन, उनके भोजन, पानी, निवारा की व्यवस्था तथा गाव/घर वापस लौटने के बाद उनकी भूखमरी, कुपोषण, बेरोजगारी के मुद्दोंपर शासनकर्ताओंकी जिम्मेदारी एवम् सर्वोच्च अदालत की ओरसे निगरानी संबंधी यह विशेष याचिका 20.05.2020 को प्रस्तुत की गयी। उसके कुछ दिन बाद ही सर्वोच्च अदालतने स्वयं इस मुद्देकी दखल लेते हुए केंद्रशासन तथा सभी राज्य सरकारोंको नोटीस पारित करके जवाब प्रस्तुत करने कहा। केंद्र शासन से आज तक जवाबी हलफ़नामा प्रस्तुत नहीं किया और आज भी अगली तारीख याने कुछ दिनोंकी मोहल्लत मांग ली।
लेकिन अदालतने आज की सुनवाई के बाद (para 18, 19 of diary no. 113944/2020) याचिकाओं में दी जानकारी, विश्लेषण और सुझाव जो अधिवक्ता पारीखजी ने प्रस्तुत किये, उनकी विशेष दखल लेते हुए निम्नलिखित अंतरीम निर्देश दिए हैं:
- प्रवासी मजदूरोंका वापसी के लिए रजिस्ट्रीकरण वे जहाँ हैं, वही विशेष केंद्र स्थापित करके किया जाए।
- प्रवासी मजदूरों की रेल या बससे सफ़र पूर्णतः मुफ़्त होनी चाहिए। राज्य सरकारोंने उसका पूरा खर्च उठाना होगा।
- 3. प्रवासी मजदूरोंको वे जहाँ अटके हैं, वही मुफ़्त भोजन राज्य सरकारोंने तथा राष्ट्रपति शासनने उपलब्ध करना चाहिए।
- रेलसे सफ़र करनेवाले प्रवासी मजदूरों को रेल में चढने के पूर्व राज्य शासनसे भोजन, पानी उपलब्ध करना होगा तथा रेलके दौरान केंद्रीय रेल मंत्रालय उन्हें खाना, पानी उपलब्ध करे। बससे सफ़र करते वक्त भी यही सुविधा उपलब्ध की जाए जो कि बसमें या रास्तोंमें थांबेपर रूककर दी जाए।
- राज्य शासनने प्रवासी मजदूरोंके रजिस्ट्रेशनकी प्रक्रिया गतिमान व सरल हो और उसके लिए ’हेल्पडेस्क’ उन्ही जगहपर उपलब्ध किया जाए, जहाँ मजदूर रूके है।
- 6. शासनने हर प्रकारके प्रयाससे यह देखना जरूरी है कि रजिस्ट्रेशन के बाद श्रमिकोंको जल्द से जल्द रेल या बस उपलब्ध की जाए और उसके सफ़रके साधन संबंधमें पूरी जानकारी सभी संबंधितोंको प्राप्त हो।
- सुप्रीम कोर्टने यह भी आदेश दिया है कि जो प्रवासी मजदूर हायवे या रास्तेपर पैदल चलते हुए पाए जाएंगे, उन्हें तत्काल राज्य शासन/ राष्ट्रपति शासन हर सेवा उपलब्ध करे और उन्हें उनके गन्तव्य तक पहुंचाने के लिए वाहन व्यव्स्था त्वरित उपलब्ध की जाए। रास्तेपर पाये सभी श्रमिकोंको भोजन, पानी की सुविधा उपलब्ध की जाए।
- उनके अपने राज्यों में पहुंचनेपर हर श्रमिकको सफ़र के लिए वाहन, स्वास्थ की जाँच व अन्य सुविधाएँ मुफ़्तमें उपलब्ध की जाए।
आजतक समाजिक संगठनों, संस्थाओंने, कार्यकर्ता समूहोंने उठाए मुद्दों की दखल उच्चतम न्यायालय ने ली है। इन निर्देशोंका स्वागत करते हुए जनआंदोलनोंका राष्ट्रीय समन्वय आग्रहसे अपेक्षा करता है कि केंद्र तथा राज्य सरकार उपरोक्त आदेशोंका पूर्ण पालन करे। इस अनियोजित लॉक डाऊन के लिये जिम्मेदार केंद्र सरकार भी उसकी वजह से राज्य सरकार भुगत रहे आर्थिक बोझ का कुछ जिम्मा उठाये ऐसी हमारी मांग है।
अगली सुनवाई 5 जून 2020 को होगी। उच्चतम न्यायालय का आदेश संलग्न है।
अधिक जानकारी के लिये संपर्क – 9174181216/9423571784 या ई-मेल: napmindia@gmail.com
महेंद्र यादव, आनंद माझगांवकर, संजय मं.गो., सुनीती सु.र. और साथी
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय