आंदोलनकारी कार्यकर्ता-वकील व प्रगतिशील व्यक्तियों पर राजकीय दमन के खिलाफ: NAPM की एकजुटता

28 अगस्त, 2020: भारत के मानवाधिकार उल्लंघन के इतिहास में 28 अगस्त, 2018 एक बहुत महत्वपूर्ण दिन बन गया है। उस दिन सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद स्थित अपने घर से पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया थाI उसी दिन दिल्ली से गौतम नवलखा, मुंबई से अरुण फेरेरा व वर्णन गोंजाल्वेस और हैदराबाद से वरवरा राव की भी गिरफ़्तारी हुई | हालांकि गौतम नवलखा को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कुछ समय तक राहत दी गई, मगर कुछ महीनों पूर्व उनकी भी गिरफ़्तारी हो गई | ‘भीमा कोरेगांव केस’ मे बेबुनियाद और झूठे  तथ्य गढ़कर आपराधिक प्रकरण तैयार किया गया  है। यह गिरफ्तारियाँ, भीमा कोरेगांव में दलितों पर हिंसा के सूत्रधार हिंदुत्ववादी लोग मिलिंद एकबोटे व संभाजी भिड़े के आपराधिक कृत्य से ध्यान हटाने और सरकार के आलोचक सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ दबाने का शर्मनाक प्रयास है।

इस प्रकारण में अभी तक कुल 12 जाने माने सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है जिसमें उपरोक्त लोगों के अलावा, शोमा सेन, सुरेन्द्र गड्लिंग, सुधीर धवले,  रोना विल्सन, महेश राउत, डॉक्टर आनंद तेलतुम्बडे और हनी बाबु भी शामिल है | इन सभी पर 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव (पुणे के करीब एक शहर) में ‘हिंसा भड़काने’ का झूठा आरोप लगा है I ज्ञात हो कि 1 जनवरी, 2018 का दिन भीमा कोरेगाँव युद्ध की 200 वीं वर्षगांठ थी I सन् 1818 के इस युद्ध में दलितों ने पेशवाओं पर जीत हासिल की थीI दलित आन्दोलन के लिए यह एक महत्पूर्ण दिन है I भीमा कोरेगांव में हजारों लोग इस दिन इकठ्ठा होते हैं ।

उल्लेखनीय है कि गिरफ्तार किए गए सभी लोग प्रगतिशील विचारधारा को मानते ही नहीं, अपितु जीते भी हैं! दुखद है कि कवि, वकील, अध्यापक, सामाजिक व मानव अधिकार कार्यकर्ता के रूप में दशकों से सक्रिय इन सबको कैद करने की खुली साजिश देखकर भी, न्यायालय न ही इस झूठे प्रकरण की खात्मा कर रही है, और न ही इन्हे जमानत दे रही है ! कोविड़ महामारी के दौरान भी ऐसे कई बुजुर्ग व्यक्तियों को जल में बंद रखना इस फासीवादी सरकार की क्रूरता को दर्शाता है ! इन 12 लोगों के अलावा, ‘जांच’ के नाम पर, NIA और भी कई मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को प्रताड़ित कर रही है !

सुधा भारद्वाज छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के साथ लगभग 35 वर्षों से  काम कर रही थी I उन्होंने लगातार आदिवासियों और मजदूरों  के मुद्दे उठाए I आवश्यकता महसूस होने पर  वकालत की पढ़ाई पूरी की | एक सफल मानवाधिकार  वकील बनकर उन्होंने हजारों परिवारों को हक दिलाने का काम किया I  छत्तीसगढ़ के भिलाई आदि फैक्ट्री एरिया के मजदूर हों  या आदिवासी समाज के हों,  वह आज उनकी कमी बहुत महसूस कर रहे हैं I  हम देश भर के जन आंदोलन  भी उनके साथ हैं I आज के दमन के माहौल में हम सुधा और भीमा कोरेगाँव केस में गिरफ्तार हुए सभी लोगों की बेहद कमी महसूस करते हैं। जेल में विचाराधीन बंदियों को दो साल तक रखना, जानबूझकर जमानत देने में देरी करना,  केस में ट्रायल शुरु करने के बजाय उनके स्वास्थ्य को गंभीर संकट में ढ़केलना, कैदियों के अधिकारों का भी घोर उल्लंघन है। वैश्विक महामारी के समय जेलों में भीड़-भाड़ की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य पर खतरा और बढ़ा हुआ है।

हाल ही में हमने देखा कि देश-दुनिया भर के हजारों लोगों के दबाव के बाद ही, सरकार ने 80 साल के बीमार वरावरा राव को एक अच्छे अस्पताल में भर्ती की ! तब तक उनकी ज़िंदगी को ही जोखिम में डाल दिया ! अभी सुधा भारद्वाज के संदर्भ में खबर है कि जेल की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार वो इस्केमिक हार्ट डिजीज” से पीड़ित हैं, जो हृदय की धमनियों के संकुचित होने के कारण होती है I इस बिमारी में हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह की कमी होती है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। यह बेहद चिंताजनक है।

उनकी बेटी मायशा के अनुसार 28 अगस्त, 2018 को हिरासत में लिए जाने से पहले सुधा भारद्वाज को दिल से जुड़ी कोई शिकायत नहीं थी। यद्यपि उनको मधुमेह और रक्तचाप है, और कुछ सालो पहले तपेदिक भी था, जिस कारण उनको कोविद के संक्रमण से सामान्य से अधिक खतरा है। उनकी बैरक में रहने वाले अन्य बंदियों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के रूप में केवल एक मास्क दिया गया है। भीड़भाड़ वाले बैरक में एक दूसरे से अनिवार्य दूरी बनाये रखना असंभव है। बायखुला जेल ने कहा है कि शारीरिक दूरी के मानदंडों को बनाए रखने के लिए जेल में अधिकतम 175 कैदी  ही रह सकते है – फिर भी, 28 जुलाई तक इस जेल में 257 कैदी थे। इस जेल के डाक्टर और अधीक्षक को कोरोनोवायरस पॉसिटिव पाया गया था।  यह हैरत की बात है कि सुधा की विशेष जमानत याचिका पर पर ढाई महीने में 11 बार तारीख लगने के बावजूद भी अभी तक निर्णय नहीं हुआ है |

अभी की ताज़ा खबर हैं कि आज सुधा की बेल एप्लिकेशन फिर से खारिज हो गई है। मुंबई उच्च न्यायालय के जज के सामने बाइकुला जेल से दो मेडिकल रिपोर्ट आईं। पहली में उनकी स्वास्थ्य की हालत को गंभीर बताया और उनका हृदय रोग का ज़िक्र भी किया। फिर 1-2 दिन पहले एक और मेडिकल रिपोर्ट जारी की गई, जहां उनको ‘पूर्ण रूप से स्वस्थ’ दिखाया गया। सुधा की वकील ने कोर्ट को कहा कि इतनी जल्दी तो हृदय रोग अपने आप से ठीक नहीं हो जाता है। पर कोर्ट ने दोनों रिपोर्टों में विरोधाभास देखने से मना कर दिया और दूसरी रिपोर्ट के आधार पर बेल खारिज कर दी।

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय सुधा भारद्वाज, शोमा सेन, डॉ. आनंद तेलतुम्बडे, सुरेन्द्र गड्लिंग वरवार राव, गौतम नवलखा, अरुण फेरेरा, वर्णन गोंजाल्वेस, सुधीर धवले,  रोना विल्सनमहेश राउत, हनी बाबु की गिरफ़्तारी और उनके ऊपर लगाए गए बेबुनियाद आरोपों की निन्दा करता है ! हम इन सभी और देश भर के तमाम राजनीतिक कैदियों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हैं, जो UAPA और ‘राज-द्रोह’ जैसे दमनकारी कानूनों के शिकार बन रहे हैं !

इस प्रकरण में अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है। यह मात्र गरीबदलितपीड़ित शोषित समाजआदिवासीकिसानमजदूर समाजों की चिंताओं और सवालों से ध्यान हटाने और राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पटल पर उन चिंताओं को लाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओंवकीलों व मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के स्वयं के मानव अधिकारों का हनन है।  उन्हें पीड़ित करने और उनके मनोबल को तोड़ने की पूरी साजिश है। आज हर उस आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है जो इस कॉर्पोरेट-हिन्दुत्ववादी सरकार को चुनौती दे रहे है ! मगर जरूरी है कि आम लोगों को सरकार की इन साजिशों का पोल-खोल करके, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, अमन-शांति-न्याय के मुद्दों पर अडिग रहना होगा !

हम माँग करते हैं कि:

  • भीमा कोरेगांव केस के सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए। खासकर कोविड-19 के खतरे को देखते हुए उन्हे तत्काल जमानत दी जाए।
  • भीमा कोरेगांव हिंसा के सूत्रधार मिलिंद एकबोटे व संभाजी भिड़े पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
  • जेल अधिकारियों से अपील है कि वे जेलों में भीड़ कम करेंसभी बंदियों का नियमित रूप से कोविड परीक्षण करें और जेल में कोविड से बचाव के सारे उपाय करें ।
  • UAPA और राज-द्रोह जैसे दमनकारी कानूनों को खारिज किया जाय।

Medha Patkar, Narmada Bachao Andolan (NBA) and National Alliance of People’s Movements (NAPM); Dr. Sunilam, Adv. Aradhna Bhargava, Kisan Sangharsh Samiti; Rajkumar Sinha, Chutka Parmaanu Virodhi Sangharsh Samiti, NAPM, Madhya Pradesh;

Aruna Roy, Nikhil Dey, Shankar Singh, Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS), National Campaign for People’s Right to Information; Kavita Srivastava, People’s Union for Civil Liberties (PUCL); Kailash Meena NAPM Rajasthan;

Prafulla Samantara, Lok Shakti Abhiyan; Lingraj Azad, Samajwadi Jan Parishad & Niyamgiri Suraksha Samiti, Manorama, Posco Pratirodh Sangram Samiti; Lingaraj Pradhan, Satya banchor, Anant, Kalyan Anand, Arun Jena, Trilochan Punji, Lakshimipriya Mohanty and Balakrishna Sand, Manas Patnaik, NAPM Odisha;

Sandeep Pandey (Socialist Party of India); Richa Singh & Rambeti (Sangatin Kisaan Mazdoor Sangathan, Sitapur); Rajeev Yadav & Masihuddin bhai (Rihai Manch, Lucknow & Azamgadh); Arundhati Dhuru & Zainab Khatun (Mahila Yuva Adhikar Manch, Lucknow), Suresh Rathaur (MNREGA Mazdoor Union, Varanasi);  Arvind Murti & Altamas Ansari (Inquilabi Kamgaar Union, Mau), Jagriti Rahi (Vision Sansthan, Varanasi); Satish Singh (Sarvodayi Vikas Samiti, Varanasi); Nakul Singh Sawney (Chal Chitra Abhiyan, Muzaffarnagar); NAPM Uttar Pradesh

Chennaiah,Andhra Pradesh Vyavasaya Vruthidarula Union-APVVU, Ramakrishnam Raju,United Forum for RTI and NAPM, Chakri (Samalochana), Balu GadiBapji Juvvala, NAPM Andhra Pradesh;

Jeevan Kumar & Syed Bilal (Human Rights Forum), P. Shankar (Dalit Bahujan Front), Vissa Kiran Kumar & Kondal (Rythu Swarajya Vedika), Ravi Kanneganti (Rythu JAC), Ashalatha (MAKAAM), Krishna (Telangana Vidyavantula Vedika-TVV), M. Venkatayya (Telangana Vyavasaya Vruttidarula Union-TVVU), Meera Sanghamitra, Rajesh Serupally, NAPM Telangana;

Sister Celia, Domestic Workers Union; Maj Gen (Retd) S.G.Vombatkere, NAPM, Nawaz, Dwiji, Nalini, Madhu Bhushan and Mamatha Yajaman, NAPM Karnataka

Gabriele Dietrich, Penn Urimay Iyakkam, Madurai; Geetha Ramakrishnan, Unorganised Sector Workers Federation; Suthanthiran, Suthanthiran, Lenin & Arul Doss, NAPM Tamilnadu;

Vilayodi Venugopal, CR Neelakandan, Prof. Kusumam Joseph, Sharath Cheloor, Vijayaraghavan Cheliya, Majeendran, Magline, NAPM, Kerala;

Dayamani Barla, Aadivasi-Moolnivasi Astivtva Raksha Samiti; Basant Hetamsaria, Aloka Kujur, Dr. Leo A. Singh, Afzal Anish, Sushma Biruli, Durga Nayak, Jipal Murmu, Priti Ranjan Dash, Ashok Verma, NAPM Jharkhand;

Anand Mazgaonkar, Swati Desai, Krishnakant, Parth, Paryavaran Suraksha Samiti; Nita Mahadev, Mudita, Lok Samiti; Dev Desai, Mujahid Nafees, Ramesh Tadvi, Aziz Minat and Bharat Jambucha, NAPM Gujarat;

Vimal Bhai, Matu Jan sangathan; Jabar Singh, Uma, NAPM, Uttarakhand;

Manshi Asher and Himshi Singh, Himdhara, NAPM Himachal Pradesh

Eric PintoAbhijeetTania Devaiah and Francesca, NAPM Goa

Gautam Bandopadhyay, Nadi Ghati Morcha; Kaladas Dahariya, RELAA, Alok ShuklaShalini Gera, NAPM Chhattisgarh;

Samar Bagchi, Amitava MitraBinayak Sen, Sujato Bhadro, Pradip Chatterjee, Pasarul Alam, Amitava Mitra, Tapas Das, Tahomina Mandal, Pabitra Mandal, Kazi Md. Sherif, Biswajit Basak, Ayesha Khatun, Rupak Mukherjee, Milan Das, Asit Roy, Mita Bhatta, Yasin, Matiur Rahman, Baiwajit Basa, NAPM West Bengal;

Suniti SR, Sanjay M G, Suhas Kolhekar, Prasad Bagwe, Mukta Srivastava, Yuvraj Gatkal, Geetanjali Chavan, Bilal Khan, Jameela, Ghar Bachao Ghar Banao Andolan; Chetan Salve, Narmada Bachao Andolan, Pervin Jehangir, NAPM Maharashtra;

Faisal Khan, Khudai Khidmatgar, J S Walia, NAPM Haryana;

Guruwant Singh, Narbinder Singh, NAPM Punjab;

Kamayani Swami, Ashish Ranjan, Jan Jagran Shakti Sangathan; Mahendra Yadav, Kosi Navnirman Manch; Sister Dorothy, Aashray Abhiyan, NAPM Bihar;

Rajendra Ravi, NAPM; Bhupender Singh Rawat, Jan Sangharsh Vahini; Anjali Bharadwaj and Amrita Johri, Satark Nagrik Sangathan;  Sanjeev Kumar, Dalit Adivasi Shakti Adhikar Manch; Anita Kapoor, Delhi Shahri Mahila Kaamgaar Union; Sunita Rani, National Domestic Workers Union; Nanhu Prasad, National Cyclist Union; Madhuresh Kumar, Priya Pillai, Aryaman Jain, Divyansh Khurana, Evita Das; Anil TV, Delhi Solidarity Group, MJ Vijayan (PIPFPD)          

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