NAPM पूर्व जे.ए.नयू छात्र और युवा कार्यकर्ता डॉ उमर ख़ालिद की गिरफ्तारी की निंदा करता है
दिल्ली पुलिस को सबूतों के निर्माण के लिए ‘इकबालिया बयानों‘ को गढ़ना और लोकतान्त्रिक रूप से किये गए CAA विरोधी प्रदर्शनों को ‘राज्य–विरोधी साज़िश‘ के रूप में प्रस्तुत करना बंद करना चाहिए
दमनकारी UAPA क़ानून को निरस्त किया जाए। सभी CAA – विरोधी प्रदर्शनकारियों को रिहा किया जाए
कपिल मिश्रा समेत वे सभी लोग गिरफ्तार हों जिन्होंने ‘दिल्ली दंगों‘ को भड़काया
14 सितम्बर 2020: राजधानी में सी.ए.ए विरोधी कार्यकर्ताओं और छात्रों के दमन और मनमानी गिरफ्तारियों का दौर जारी है। इसी कड़ी में ग्यारह घंटे की गहन ‘पूछताछ’ के बाद कल देर रात युवा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. उमर ख़ालिद को गिरफ़्तार कर लिया गया। फरवरी, 2020 में दिल्ली में हुए ‘दंगों’ का ‘मास्टरमाइंड’ होने का झूठा आरोप लगाते हुए, और जबरन लिए गए इकबालिया बयानों से गढ़े गए सबूतों के आधार पर, उमर को गिरफ्तार किया गया है। आज शाम को पता चला है कि अदालत ने उमर को 10 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है, ताकी “11 लाख पन्नों” के दस्तावेज़ों के आधार पर अतिरिक्त पूछ-ताछ हो सके !
लोकतान्त्रिक मूल्यों पर दृढ विश्वास रखने वाले लोगों के रूप में, हम इस शासन द्वारा युवा और प्रगतिशील आवाज़ों, जिनमें कई मुस्लिम, छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद शामिल हैं, की आवाज़ को इस तरह दबाये जाने से अथक पीड़ा और आक्रोश में हैं। औरतों के जीवंत नेतृत्त्व में किये गए CAA-विरोधी प्रदर्शनों में इन लोगों के दिए गए भाषण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं और किसी भी तर्क से उन्हें ‘घृणा या हिंसा भड़काता’ हुआ नहीं आंका जा सकता। इसके विपरीत, वे सभी प्रेम, शांति और संवैधानिक मूल्यों की बात करते दिखते हैं।
उल्लेखनीय है कि गिरफ्तारी की सम्भावना को भांपते हुए उमर ख़ालिद ने 1 सितम्बर को दिल्ली पुलिस कमिशनर को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें UAPA, देश-द्रोह और हत्या की साज़िश जैसे आरोपों में फंसाने के लिए गवाहों से जबरन बयान लिए जा रहे हैं। इसके बाद, 4 सितम्बर को चार वरिष्ठ सामाजिक हस्तियों – प्रो अपूर्वानंद (दिल्ली विश्वविद्यालय), श्री हर्ष मंदर (पूर्व आई.ए.एस अधिकारी और सद्भाव कार्यकर्ता), श्री योगेंद्र यादव (राष्ट्रीय अध्यक्ष, स्वराज अभियान) और कवलप्रीत कौर (युवा कार्यकर्ता, AISA) ने उमर ख़ालिद समेत एक प्रेस वार्ता की, और दिल्ली पुलिस के CAA – विरोधी कार्यकर्ताओं को दिल्ली दंगों का ‘मास्टरमाइंड’ बताते हुए झूठे आरोपों में फंसाये जाने की तरफ इशारा किया।
कल मुंबई के सेवानिवृत्त पुलिस कमिशनर और गुजरात व पंजाब के DGP, श्री जूलिओ रिबेरो ने कड़े शब्दों में इस प्रत्यक्ष एकतरफ़ा कार्यवाही के विषय में प्रश्न उठाया और कहा : “दिल्ली पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है लेकिन नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ संज्ञेय अपराध दर्ज करने में जानबूझ कर विफल रही है।” आज अलग-अलग राज्यों से 9 अन्य आई.पी। एस अधिकारियों ने पुलिस कमिशनर को दिल्ली दंगों की दोषपूर्ण जांच के संदर्भ में लिखा है और उनसे आग्रह किया है कि “आपराधिक जांच के सही सिद्धान्तों के आधार पर बिना किसी पक्षपात के दंगों के सभी मामलों की दोबारा जांच की जाए ताकि पीड़ितों और उनके परिवारों को उचित न्याय मिले और न्यायिक शासन बना रहे” |
इन हस्तक्षेपों और दिल्ली पुलिस को 1000 से अधिक प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा लिखे गए पत्र के बावजूद, केंद्रीय गृह मंत्रालय के इशारों पर काम करते हुए दिल्ली पुलिस ने एक और झूठी गिरफ़्तारी की है, जबकि सार्वजनिक रूप से साफ़ तौर पर हिंसा भड़काने वालों को पूरी तरह अनदेखा किया गया है। इनमें से सबसे प्रमुख बी.जे.पी नेता कपिल मिश्रा हैं, जिन्हें भीड़ को CAA -विरोधी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा के लिए उकसाते हुए वीडियो पर देखा गया है, और वह आज भी आज़ाद घूम रहे हैं। यहाँ तक कि मिश्रा ने आज एक ताज़ा वीडियो जारी करते हुए कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसा 26 /11 के मुंबई आतंकी हमले के समान है और इन कार्यकर्ताओं को ‘मौत की सज़ा’ मिलनी चाहिए! हम दिल्ली पुलिस को याद दिलाना चाहते हैं कि राजनैतिक हितों के पक्ष में जांच से सौदा करना घोर अव्यवसायिक कृत्य है और इस देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों पर हमला, जिन्हें बरकरार रखने की ज़िम्मेदारी पुलिस की है।
पिछले 6 महीनों में, लॉकडाउन की आड़ में, कई छात्रों व युवा कार्यकर्ताओं को UAPA के तहत गिरफ़्तार किया गया है। गुलफ़िशा फ़ातिमा (छात्रा, डी.यू), इशरत जहां (कांग्रेस कार्यकर्ता), देवांगना कालिता और नताशा नरवाल (विद्यार्थी व पिंजरा तोड़ की नारीवादी कार्यकर्ता), ख़ालिद सैफी (यूनाइटेड अगेंस्ट हेट), मीरान हैदर (अध्यक्ष, आर.जे.डी यूथ विंग, दिल्ली), आसिफ तन्हा (जामिया विद्यार्थी), शरजील इमाम (JNU विद्यार्थी), शिफ़ा-उर-रहमान (अध्यक्ष, जामिया पूर्व छात्र संघ) समेत कई युवा छात्र व कार्यकर्ता जेलों में बंद हैं। UAPA मामले में उनकी जमानत याचिका बार-बार खारिज की जा रही है और खबर है कि उनमें से कुछ को हिरासत में गंभीर यातना का सामना भी करना पड़ा है। इन सभी पर दिल्ली दंगों को भड़काने के लिए एक ‘षड्यंत्र’ का हिस्सा होने का झूठा आरोप लगाया गया है।
दिल्ली पुलिस ने अब फिल्म निर्माताओं राहुल रॉय और सबा दीवान को समन जारी किया है और आज उनकी लंबी पूछ-ताछ हुई। पिछले कुछ महीनों में राजधानी में बड़ी संख्या में अन्य कार्यकर्ताओं और छात्रों से भी पूछ-ताछ की गई, उनमें से कई के फोन जब्त किए गए और उन सभी को भारी निगरानी में रखा गया। जो अन्य कार्यकर्त्ता पुलिस के रडार में हैं उनमें सीताराम येचुरी (सी.पी.एम), प्रो. योगेंद्र यादव, प्रो. अपूर्वानंद, प्रो. जयति घोष, एडवोकेट मेहमूद प्रचा, चंद्रशेखर आज़ाद (भीम आर्मी), शामिल हैं, हालांकि दिल्ली पुलिस ने एक स्पष्टीकरण जारी किया कि पूरक चार्जशीट में श्री येचुरी, प्रो यादव और प्रो घोष को आरोपी नहीं ठहराया गया है।
इन महीनों के दौरान, कई मौकों पर ट्रायल कोर्ट ने चिन्हित किया है कि मीडिया पक्षपाती तरीके से चयनित मुद्दों पर गलत सूचनाओं को परोस रहा है और इसके द्वारा अविश्वसनीय हो चुका “चौथा स्तम्भ” पक्षपूर्ण कार्यवाहियाँ कर रहा है। इस समय में अति-आवश्यक है कि हम इस घोर अन्याय के विरुद्ध एकजुट हों और तथ्यों से छेड़छाड़ के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं, जिसके तहत निर्दोषों को झूठे आरोपों में फंसा गिरफ़्तार किया जा रहा है, और दंगे भड़काने वाले खुले घूम रहे हैं। हम अपने देश के सभी शांति और न्याय प्रेमी, और लोकतांत्रिक परिदृश्य रखने वाले नागरिकों से आग्रह करते हैं कि इस शासन की अन्यायपूर्ण नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों के विरुद्ध चलाए जा रहे जहरीले आख्यानों और न्यायिक प्रणाली की अवमानना के ख़िलाफ़ रोष और आवाज़ बुलंद करें।
इस समय के राजनीतिक संदर्भ को देखते हुए हमें उम्मीद तो नहीं है कि सत्ता से किया गया कोई भी अनुरोध कुछ बदलाव ला सकेगा, मगर हमें आख्यानों की इस लड़ाई को सत्याग्रह के सच्चे सिंद्धान्तों द्वारा लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। जैसा कि डॉ ख़ालिद ने खुद कहा था- “हम हिंसा का जवाब हिंसा से नहीं देंगे। हम नफ़रत का जवाब नफ़रत से नहीं देंगे। अगर वे नफ़रत फैलाते हैं, तो हम इसका जवाब प्यार से देंगे। अगर वे हमें लाठियों से पीटते हैं, तो हम तिरंगा पकड़े रहेंगे।”
NAPM तत्काल मांग करता है कि:
· डॉ उमर ख़ालिद और सभी सी.ए.ए विरोधी प्रदर्शनकारियों को रिहा किया जाए जो कि इस देश के लाखों अन्य लोगों की तरह पूर्णतः वैध और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे।
· उमर और सभी सी.ए.ए विरोधी कार्यकर्ताओं की पुलिस और न्यायिक हिरासत में सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
· UAPA और राजद्रोह कानूनों को निरस्त किया जाए जो मौलिक स्वतंत्रता और नागरिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के साधन बन गए हैं।
· कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कोमल शर्मा, रामभक्त गोपाल, रागिनी तिवारी आदि सहित सभी दक्षिणपंथी राजनीतिक और अन्य नेताओं को गिरफ्तार किया जाए जिनके खिलाफ सार्वजनिक रूप से नफरत और हिंसा भड़काने के स्पष्ट सबूत उपलब्ध हैं।
· सी.ए.ए-एन.आर.सी-एन.पी.आर के असंवैधानिक क़ानून को वापस लिया जाए, जो न्यायिक व समान नागरिकता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है |
भारत भर से विभिन्न जन-आंदोलनों के प्रतिनिधि के रूप में, और संवैधानिक मूल्यों को समर्पित नागरिकों के रूप में हम दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय से आह्वान करते हैं कि शांतिप्रिय कार्यकर्ताओं के इस प्रकार उत्पीड़न को रोका जाए और दिल्ली में हुए दंगों के वास्तविक अपराधियों को तलब किया जाए और इस हिंसा से प्रभावित हुए सभी परिवारों को पूरा न्याय, मुआवज़ा और पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए।
हम भय, आतंक, झूठ और नफ़रत के इस माहौल के ख़िलाफ़ निरंतर संघर्ष के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे napmindia@gmail.com
Image Credit: https://www.arre.co.in/social-commentary/delhi-police-booked-khalid-jamia-students-under-uapa/