प्रधान मंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बस्तियों को उजाड़ना निंदनीय: सरकार पुनर्वास के लिए तत्काल पहल करे
19 जन, 2021: मोदी सरकार ‘स्मार्ट सिटी’ का सपना लोगों को कई सालों से बेच रही है और इस योजना पर देश भर में हजारों करोड़ रुपये भी खर्च चुकी है. सितम्बर 2020 में भारत सरकार द्वारा जारी की गयी रैंकिंग में वाराणसी को पहला स्थान मिला, दावे किए जा रहे हैं कि यहाँ ‘वर्ल्ड क्लास’ सुविधाएँ दी जाएंगी. लेकिन इन्हीं दावों के बीच यह भी पूछा जाना चाहिए कि आखिर ये मक़ाम किस कीमत पर हासिल किया जा रहा है?
‘त्योहार के दिनों’, 13 जनवरी, 2020 को वाराणसी के तेलियाना रेलवे फाटक इलाके में सैकड़ों मजदूरों के घरों को प्रशासन द्वारा जबरन ध्वस्त कर दिया गया, जिनमें से कई सारे दलित समाज के हैं . इनमें से ज्यादातर लोगों के रहने के लिए कोई दूसरी जगह मुहैया नहीं कराई गई है. कोरोना महामारी के साथ कड़ाके की ठंड के बीच लोगों को उनके घर से बेदख़ल करना न सिर्फ अमानवीय है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन है. सबसे बड़ी बेशर्मी की बात तो यह है कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है !‘सबका साथ, सबका विकास’ के ऊंची नारे बाजी के बावजूद, गरीब और श्रमिक वर्ग के समुदायों को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी बुनियादी सम्मान और अधिकारों की गारंटी नहीं है।
यह पहला मामला नहीं है जहाँ पर इस तरह से लोगों को बिना वैकल्पिक आवास मुहैया कराए उनके घरों को उजाड़ दिया गया हो. पिछले 4-5 सालों के दौरान बनारस में ऐसी कई बस्तियों को उजड़ा जा चुका है जिसके बाद तमाम जनवादी संगठनो द्वारा इनके रहने की उचित व्यवस्था के लिए प्रदर्शन भी किये गए, लेकिन सरकार या जिला प्रशासन में इस बात का कोई फर्क पड़ता नज़र नहीं आ रहा है|
दरअसल ये योगी और मोदी सरकार के मजदूर विरोधी चरित्र को दर्शाता है. उजाड़ी गई बस्तियों में रहने वाले ज्यादातर लोग सफाई कर्मचारी, दैनिक वेतन मजदूर और घरों में काम करने वाले हैं. ऐसे में अचानक से घर उजड़ जाने के कारण इनके स्वास्थ्य के साथ साथ इनकी आजीविका पर भी ख़तरा मंडरा रहा है. फ़िलहाल इनमे से ज्यादातर लोग सडकों पर रहने को मजबूर हैं.
‘स्मार्ट सिटी’ के नाम पर वाराणसी प्रशासन द्वारा जबरन सैकड़ों वंचित, श्रमिक और दलित समुदाय के लोगों के आशियाने को, बिना पुनर्वास उजाड़ने की कार्यवाही का NAPM कड़ी शब्दों में निंदा करता है और साथ ही प्रशासन से मांग करता है कि:
- वह तुरंत विस्थापित किए गए इन लोगों के रहने की उचित व्यवस्था करे
- सभी विस्थापित लोगों को उचित और न्यायपूर्ण मुआवजा तत्काल प्रदान करे.
- बिना सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास, किसी भी मकान व बस्ती को न उजाड़े और लोगों को अपने घरों से बेदखल न करें |
चेन्नई, दिल्ली और देश के कई शहरों में लगातार मेहनतकशों के बस्तियों को उजाड़ा जा रहा है, जिनमे से कई सारे वंचित जातियों – तापको और अल्पसंख्यक समुदाय के हैं | कोरोना काल में बस्तियों को उजाड़ने पर केंद्र और सभी राज्य सरकारें तत्काल संपूर्ण रोक लगाए |
मेधा पाटकर (नर्मदा बचाओ आंदोलन, जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय); डॉ सुनीलम, आराधना भार्गव (किसान संघर्ष समिति), राजकुमार सिन्हा (चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति); पल्लव (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, मध्य प्रदेश)
अरुणा रॉय, निखिल डे, शंकर सिंह (मज़दूर किसान शक्ति संगठन); कविता श्रीवास्तव (PUCL); कैलाश मीणा (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, राजस्थान); प्रफुल्ल समांतरा (लोक शक्ति अभियान)
लिंगराज आज़ाद (समजवादी जन परिषद्, नियमगिरि सुरक्षा समिति); लिंगराज प्रधान, सत्य बंछोर, अनंत, कल्याण आनंद, अरुण जेना, त्रिलोचन पुंजी, लक्ष्मीप्रिया, बालकृष्ण, मानस पटनायक (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, ओडिशा)
संदीप पांडेय (सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया); ऋचा सिंह, रामबेटी (संगतिन किसान मज़दूर संगठन, सीतापुर); राजीव यादव, मसीहुद्दीन (रिहाई मंच, लखनऊ); अरुंधति धुरु, ज़ैनब ख़ातून (महिला युवा अधिकार मंच, लखनऊ); सुरेश राठोड (मनरेगा मज़दूर यूनियन, वाराणसी),अरविन्द मूर्ति, अल्तमस अंसारी (इंक़लाबी कामगार यूनियन, मऊ), जाग्रति राही (विज़न संसथान, वाराणसी), सतीश सिंह (सर्वोदयी विकास समिति, वाराणसी); नकुल सिंह साहनी (चल चित्र अभियान)
पी चिन्नय्या (APVVU); रामकृष्णं राजू (यूनाइटेड फोरम फॉर RTI एंड NAPM);चकरी (समालोचना); बालू गाडी, बापजी जुव्वाला (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, आंध्र प्रदेश);
जीवन कुमार, सईद बिलाल (ह्यूमन राइट्स फोरम); पी शंकर (दलित–बहुजन फ्रंट); विस्सा किरण कुमार , कोंदल (रयथु स्वराज्य वेदिका); रवि कनगंटी (रयथु, JAC ); आशालता (मकाम); कृष्णा (TVV); एम् वेंकटय्या (TVVU ); मीरा संघमित्रा (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, तेलंगाना)
सिस्टर सीलिया (डोमेस्टिक वर्कर यूनियन); मेजर जनरल (रिटायर्ड) एस जी वोमबतकेरे (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय); नलिनी गौड़ा (KRRS); नवाज़, द्विजी गुरु, नलिनी, मधु भूषण, ममता, सुशीला, शशांक (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, कर्नाटक)
गाब्रिएल (पेन्न उरिमय इयक्कम, मदुरै); गीता रामकृष्णन (USWF); सुतंतिरण, लेनिन, इनामुल हसन, अरुल दोस, भारती, विकास (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, तमिल नाडु);
विलायोडी, सी आर नीलकंदन, कुसुमम जोसफ, शरथ चेल्लूर, विजयराघवन, मजींदरन, मगलीन (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, केरल)
दयामनी बरला (आदिवासी– मूलनिवासी अस्तित्व रक्षा समिति); बसंत, अलोक, डॉ लियो, अफ़ज़ल, सुषमा, दुर्गा, जीपाल, प्रीति रंजन, अशोक (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, झारखण्ड)
आनंद माज़गाओंकर, स्वाति, कृष्णकांत, पार्थ (पर्यावरण सुरक्षा समिति); नीता महादेव, मुदिता (लोक समिति ); देव देसाई, मुजाहिद, रमेश, भरत (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, गुजरात)
विमल भाई (माटु जन संगठन); जबर सिंह, उमा (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, उत्तराखंड)
मान्शी, हिमशि, हिमधारा (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, हिमाचल प्रदेश)
एरिक, अभिजीत, तान्या, डयाना, एमिल, कैरोलिन, फ्रांसेस्का (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, गोवा)
गौतम बंदोपाध्याय (नदी घाटी मोर्चा); कलादास डहरिया (RELAA); अलोक, शालिनी (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, छत्तीसगढ़)
समर, अमिताव, बिनायक, सुजाता, प्रदीप, प्रसारुल, तपस, ताहोमिना, पबित्र, क़ाज़ी मुहम्मद, बिश्वजीत, आयेशा, रूपक, मिलान, असित, मीता, यासीन, मतीउर्रहमान, बाइवाजित (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, पश्चिम बंगाल)
सुनीति, संजय, सुहास, प्रसाद, मुक्त, युवराज, गीतांजलि, बिलाल, जमीला (घर बचाओ घर बनाओ आंदोलन); चेतन साल्वे (नर्मदा बचाओ आंदोलन); परवीन जहांगीर (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, महाराष्ट्र)
जे इस वालिया (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, हरियाणा)
गुरुवंत सिंह, नरबिंदर सिंह (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, पंजाब)
कामायनी, आशीष रंजन (जन–जागरण शक्ति संगठन); महेंद्र यादव (कोसी नवनिर्माण मंच)
राजेंद्र रवि (जन–आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय); भूपेंद्र सिंह रावत (जन संघर्ष वाहिनी); अंजलि, अमृता जोहरी (सतर्क नागरिक संगठन); संजीव कुमार (दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच); अनीता कपूर (दिल्ली शहरी महिला कामगार यूनियन); सुनीता रानी (नेशनल डोमेस्टिक वर्कर यूनियन); नन्हू प्रसाद (नेशनल साइकिलिस्ट यूनियन); मधुरेश, प्रिया, आर्यमन, दिव्यांश, ईविता, अनिल (दिल्ली सॉलिडेरिटी ग्रुप); एम् जे विजयन (PIPFPD)
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