मझौली, सीधी जिला, मध्य प्रदेश में आदिवासी घरों के निंदनीय विध्वंस के लिए अधिकारियों के खिलाफ तुरंत आपराधिक कार्रवाई की जाए
6 अप्रैल, 2021: जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एन.ए.पी.एम.) नेबुहा के दुर्जन टोला, ग्राम पंचायत मझौली में गोंड और बैगा आदिवासी समुदाय के परिवारों के घरों का बिना किसी पूर्व सूचना के 1 अप्रैल, 2021 को विध्वंस, और इससे हुए उनके आश्रय के अधिकार के उल्लंघन की निंदा करता है।
यह परिवार 3 पीढ़ियों से सरकारी जमीन पर बने मकानों में रह रहे थे। दशकों से इस जमीन पर अपने हक़ का पट्टा प्राप्त करने के लिए वे इंतजार करते आये हैं, जो उन्हें राजस्व अधिकारियों ने अभी तक नहीं दिया है। विध्वंस से कुछ ही दिन पहले उन्हें इसी भूमि पर कब्जे के लिए जुर्माना मिला, जो दर्शाता है कि जमीन पर उनके कब्जे को स्वीकारा गया है । प्रभावितों में तीन परिवार भूमिहीन हैं और उनके पास पट्टे की भूमि नहीं है।
पट्टा प्रदान करने के बजाय, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एस.डी.एम.) और स्थानीय पुलिस बल द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घरों को औद्योगिक / व्यावसायिक निर्माण के लिए ध्वस्त किया गया है। एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि वह आदिवासियों के काबिज जमीन को औपचारिक रूप से पट्टा प्रदान करेगी। दूसरी ओर, गरीब और सीमांत समुदाय के घरों को नष्ट कर दिया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार महिलाओं और बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया और उन पर सरकारी भूमि पर ‘अतिक्रमण’ का आरोप लगाया गया।
प्रभाविक परिवार अनुसूचित आदिवासी समुदायों से हैं, जो देश के संविधान और राष्ट्रपति द्वारा संरक्षित हैं। साथ ही बैगा आदिवासी समुदाय (पी.वी.टी.जी.) में शामिल हैं, जिसके कारन उन्हें आदर्श रूप से विशेष सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। इसके बजाय, उन्हें ‘अतिक्रमण’ का दर्जा देकर घटना स्थल पर ही बिना किसी आश्रय के रहने के लिए मजबूर किया गया है।
मीडिया कवरेज और स्थानीय संगठनों के दबाव के कारण एस.डी.एम. ने 4 अप्रैल को पंचायत सचिव के माध्यम से प्रभावित परिवारों को आवास योजना के तहत घर बनाने का आश्वासन दिया है । यह प्रतिक्रिया अपने आप में अपर्याप्त है। सरकार को ऐसी परिस्थिति में जिले के सभी परिवारों का सर्वेक्षण और पहचान करना चाहिए, और उन्हें उनके काबिज भूमि के लिए पट्टा प्रदान करना चाहिए।
हम मझौली में पुलिस और राजस्व अधिकारियों द्वारा इस दमनकारी कार्रवाई की निंदा करते हैं, जो उद्योगपतियों के पक्ष में किया गया है और जो कि आश्रय के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है।
हम मांग करते हैं कि:
(i) समयबद्ध तरीके से परिवारों के लिए आवास योजना के तहत घर का निर्माण किया जाये
(ii) प्रभावित परिवारों को तुरंत पट्टा दिया जाये और साथ-साथ क्षेत्र में उचित सर्वेक्षण और पहचान की प्रक्रिया के आधार पर ऐसी परिस्थिति मैं अन्य परिवारों को भी पट्टा मिलें
(iii) विध्वंस के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को सेवा से निलंबित किया जाये और उनके खिलाफ SC & ST (PoA) अधिनियम के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाये
उमेश तिवारी, सीधी (मध्य प्रदेश), रोको टोको क्रांतिकारी मोर्चा और एन.ए.पी.एम. मध्य प्रदेश द्वारा अपडेट।